शिव पंचाक्षर स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति करने वाला एक अत्यंत पवित्र स्तोत्र है। यह "न-म-शि-वा-य" के पाँच अक्षरों की महिमा का वर्णन करता है। यहाँ शिव पंचाक्षर स्तोत्र के श्लोक और उनका हिंदी अर्थ दिया गया है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्रम (संस्कृत लिरिक्स)
1.
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय ॥
अर्थ:
वे जिनके गले में नागों की माला है, जिनकी तीन आँखें हैं,
जिन्होंने भस्म का लेप किया है और जो महेश्वर हैं,
वे जो शाश्वत, पवित्र और चारों दिशाओं को वस्त्र रूप में धारण करते हैं।
उस शिव को नमस्कार है, जिन्हें 'न' अक्षर द्वारा दर्शाया गया है।
2.
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय ॥
अर्थ:
वे जो मंदाकिनी के जल से अभिषेक किए जाते हैं और चंदन से अलंकृत होते हैं,
वे जो नंदी और प्रेत-पिशाचों के स्वामी हैं,
जिनकी पूजा मंदार और अन्य सुंदर पुष्पों से होती है।
उस शिव को प्रणाम, जिन्हें 'म' अक्षर द्वारा दर्शाया गया है।
3.
शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय ॥
अर्थ:
वे जो सुंदर गौरी के मुख को प्रसन्न करते हैं,
वे जिन्होंने दक्ष के यज्ञ का संहार किया,
जिनका कंठ नीला है और जिनका ध्वज वृषभ (बैल) है।
उस शिव को नमस्कार, जिन्हें 'शि' अक्षर द्वारा दर्शाया गया है।
4.
वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
तस्मै वकाराय नमः शिवाय ॥
अर्थ:
वे जो वशिष्ठ, अगस्त्य, गौतम जैसे मुनियों और देवताओं द्वारा पूजित हैं,
जिनका सिर चंद्रमा, सूर्य और अग्नि की तरह प्रकाशमान है।
उस शिव को नमस्कार, जिन्हें 'व' अक्षर द्वारा दर्शाया गया है।
5.
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय ॥
अर्थ:
वे जो यज्ञ के स्वरूप हैं, जिनकी जटाएँ हैं,
जिनके हाथ में पिनाक (त्रिशूल) है और जो सनातन हैं।
वे जो दिव्य और दिगम्बर (चारों दिशाओं को वस्त्र रूप में धारण करने वाले) हैं।
उस शिव को नमस्कार, जिन्हें 'य' अक्षर द्वारा दर्शाया गया है।
फलश्रुति (स्तुति का फल)
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
अर्थ:
जो भी इस पवित्र पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ शिव के समीप करता है,
वह शिवलोक को प्राप्त करता है और शिव के साथ आनंदित होता है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र की महिमा
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति, मानसिक शांति और शिवलोक की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है। इसमें न-म-शि-वा-य के पाँच अक्षरों के माध्यम से भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया गया है।
"ॐ नमः शिवाय"